मंगलवार, 3 दिसंबर 2013

काले हिरणों के शिकार से सम्बंधित न्यायालय में चलने वाली न्याय प्रक्रिया को देखकर लगता है अभी तक हिरण बेचारे दो-तीन बार पैदा होकर मर भी चुके होंगे। :(

बुधवार, 4 जुलाई 2012

वासू का जंगल

वासू आज अपनी दीवार में चित्र बना रहा था। चित्र बनाने के लिए वासू को अपनी कॉपी कम पड़ती थी इसलिए माँ ने उसे कमरे की एक दीवार दे रखी थी। वासू अपनी दीवार पर हमेशा कुछ न कुछ बनाता बिगाड़ता रहता था।
उसने एक खरगोश बनाया, उसके बाद दूसरा खरगोश बना दिया, फिर उसने खरगोशों के लिए झाड़ियाँ बनाईं ।

फिर वासू ने चिड़िया, तोता, कबूतर, मैना, मोर जैसे तरह-तरह के पक्षी बनाए। अब वासू ने पक्षियों के बैठने के लिए पेड़ और घोंसले बनाए।

वासू को सभी चित्र बहुत अच्छे लग रहे थे। वह चित्र बनाता जा रहा था। उसने सोचा अब जानवर बनाता हूँ। तो उसने हाथी, घोड़ा, बंदर, भालू, ज़िराफ और बहुत सारे जानवर बना दिए।

जानवर तो बन गए अब उनके रहने के लिए जगह बनाई। वासू ने जानवरों के रहने के लिए गुफाएँ, पेड़ और तरह-तरह के घर बनाए।

अब वासू को अपनी दीवार जंगल जैसी दिख रही थी। फिर वासू ने सोचा जंगल में एक शेर भी तो होना चाहिए। इसलिए उसने बड़े-बड़े दाँतों, लाल-लाल आँखों वाला बड़ा-सा शेर बना दिया।

अब वासू ने अपना पूरा जंगल देखा। शेर को देखकर वह खुद डर गया। उसे लगा कि यह शेर सच में न आकर खा जाए। तब जल्दी से वासू ने शेर के बड़े-बड़े दाँत कपड़े से पोंछ दिए।

अब वासू का शेर बूढ़ा और बगैर दाँतो का हो गया। उसको अब शेर से डर नहीं लग रहा था।

शनिवार, 10 जुलाई 2010

मेरी नयी यात्रा

आज मैंने एक ब्लॉग बनाया। यह काम मैंने अपने आप किया। मैं एक हाउस वाइफ हूँ। मेरे लिए ब्लॉग बनाना एक बड़ी उपलब्धि है। मैं अब तक दूसरे ब्लॉग पढ़ा करती थी। लेकिन अपनी राय नहीं दे पाती थी। अब मैं चाहती हूँ कि जैसा जब भी पढूँ उसपर अपनी राय जरूर दूँ। यह ब्लॉग केवल टिप्पणी करने के लिए बनाया गया है। मेरी यह नयी तरह की यात्रा है। हे ईश्वर मेरी निरंतर सहायता करना।